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Sunday 14 December 2014

कुछ अल्फ़ाज़ हैं जो होठों पे आने से रह गए....
मौका तो देते एक दिल ए अंदाज बयां करने का.....
लफ़ज़ ऐसे हों की पत्थर भी पिघल जाये...
कि उनके दिल में  भी हमारे नाम का दिया जल जाए ।

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