बैठे हैं चौराहे पे सनम की राह देखते हुए.... बरसों बीत गये उनके इंतज़ार में.......
कुछ तो था हमारे दरमियां....
चाहे वो दिलों का फासला या शहरों की दूरियां...
इक बार तो ज़रा हमारे बारे में सोचते.....
मुद्दत हो गयी आपके इज़हार में......
बैठे हैं चौराहे पे सनम की राह देखते हुए.... बरसों बीत गये उनके इंतज़ार में.......
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