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Tuesday 10 February 2015

होता हूँ जब तनहा.. तो बिता लेता हूँ तेरी यादों के साथ....

होता हूँ जब बेचैन.. तो जे लेता हूँ तेरे लिए लिखी गयी बातों के साथ....

न जाने कैसी कशिश है उन लम्हों में.. लगती हैं तब प्यारी अपनी बातें भी....

खुश हो जाता हूँ वो सब याद कर के.. जो बिता लेता हूँ कुछ लम्हे तुम्हारी बातों के साथ....

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